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लेखनी कहानी -16-Dec-2022 रास्ते का पत्थर

रीतेश को ऑफिस में काम करते हुए रात के आठ बज गये थे । गिर अभ्यारण्य में उसे जिला वन अधिकारी के पद पर काम करते हुए अभी एक महीना ही हुआ था । यह अभ्यारण्य "शेरों" के लिये मशहूर था । पिछले कुछ सालों से यहां पर शेरों के अवैध शिकार की शिकायतें आ रही थीं । रीतेश को इसीलिए लगाया था कि वह इस प्रकार की गतिविधियों पर अंकुश लगाये । वह अपने काम में इतना मशगूल रहता था कि उसे समय का पता ही नहीं चलता था ।

एक वनरक्षक ने सूचना दी कि "महाराज" बहुत तेज तेज दहाड़ रहा है । रीतेश अपने साथ कुछ अनुभवी वनरक्षकों और एक डॉक्टर को साथ लेकर अभ्यारण्य की ओर चल पड़ा । अभ्यारण्य में घना जंगल था और घुप्प अंधेरा था । गाड़ी की फॉक्स लाइट जलाने की मनाही थी इसलिए साधारण सी रोशनी में उसकी जिप्सी धीरे धीरे चल रही थी । "महाराज" इस अभ्यारण्य का सबसे ताकतवर शेर था या यों कहें कि बब्बर शेर था इसलिए उसका नामकरण "महाराज" किया गया था । उसकी ख्याति के कारण लोग दूर दूर से इस अभ्यारण्य में उसे देखने आते थे । 

रीतेश के विचारों की श्रंखला पर अचानक ब्रेक लग गये । कारण था कि जिप्सी भी जोर के ब्रेक लगने से एक झटके के साथ रुक गई थी । रीतेश का ध्यान एकदम सामने गया । एक बहुत बड़ा पत्थर रास्ते के बीचोंबीच पड़ा हुआ था । दो वनरक्षक जिप्सी से उतरे और उन्होंने उस पत्थर को वहां से हटाकर रास्ते के किनारे कर दिया । जिप्सी आगे चल पड़ी । 

अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच कर रीतेश ने देखा कि महाराज जोर जोर से दहाड़ रहा था । शायद वह किसी चोट से घायल था इसलिए दहाड़ रहा हो । डॉक्टर अनुज ने उसे एक बेहोशी का इंजेक्शन लगाया और उसका खून जांच के लिये ले लिया । कुछ दवाई इंजेक्शन से उसे दी और वे सब वापस चल पड़े । 

वापसी में रीतेश डॉक्टर अनुज से महाराज की बीमारी पर चर्चा कर ही रहा था कि जिप्सी फिर से झटका मारकर रुक गई । रीतेश का ध्यान फिर से सामने की ओर गया । इस बार रीतेश चौंक गया । वही पत्थर फिर से रास्ते के बीचोंबीच पड़ा हुआ था । 
"ये पत्थर फिर से बीच रास्ते पर कैसे आ गया" ? रीतेश के मुंह से अचानक निकल गया । 
"पता नहीं साहब" सब एक साथ बोल पड़े ।
फिर से दो वनरक्षक जिप्सी से उतरे और उन्होंने उस पत्थर को किनारे किया । जिप्सी फिर से चल पड़ी । 
रीतेश घर आ गया मगर उसके दिमाग में वह पत्थर घर कर गया । "उसे फिर से किसने रास्ते में डाला था और क्यों" ? उसके दिमाग में यही प्रश्न बार बार कौंध रहा था मगर इसका कोई उत्तर नहीं मिल रहा था । सोचते सोचते रात हो गई और कब उसकी आंख लग गई, पता ही नहीं चला । 

अगले दिन सुबह वह अकेला ही अभ्यारण्य में चला गया । वह खुद ही जिप्सी ड्राइव कर रहा था । अचानक उसे ब्रेक लगाने पड़े । पत्थर फिर से रास्ते के बीचोंबीच पड़ा था । इस बार रीतेश चौंका नहीं बल्कि चिंतित हुआ । "क्या माजरा है" ? उसके दिमाग में सबसे पहले यही बात आई । उसने पत्थर को गौर से देखा । उलट पलट कर देखा । पत्थर पर खून के धब्बे नजर आये । वह चौंक गया । पत्थर पर खून के धब्बे क्यों और कैसे आये ? उसके खोजी दिमाग में यह प्रश्न कौंधने लगा । रीतेश IPS बनना चाहता था मगर बन नहीं पाया था । वह IFS बनकर ही संतुष्ट हो गया मगर खोजी दिमाग तो खोजी ही रहेगा । यहां भी खोजबीन में लग गया । 
जिप्सी से नीचे उतरना खतरनाक हो सकता था । यह स्थान घने जंगल के बीच में था । जंगल में न केवल शेर और बब्बर शेर थे अपितु अनेक जंगली जानवर भी थे । रीतेश के साथ कोई भी नहीं था । वह एक बार ठिठका लेकिन वह हिम्मत करके जिप्सी से उतर पड़ा और आसपास का एरिया देखने लगा । दूर दूर तक घने पेड़ पौधों के अतिरिक्त और कुछ नजर नहीं आया उसे । वह वापस आ गया । 

उस दिन वह बाजार गया और कुछ सीसीटीवी कैमरे ले आया और उसने बिना किसी को बताये उन्हें फिट करा दिया । वह रोजाना रात के एक बजे तक उनकी मॉनिटरिंग करने लगा । इस तरह कई दिन बीत गये मगर कुछ हाथ नहीं लगा । 
एक रात करीब साढे बारह बजे उसे सीसीटीवी कैमरे में एक जिप्सी जाती हुई दिखी । वह चौंक गया । उसने ध्यान से देखा तो पाया कि उस जिप्सी में एक विदेशी महिला बैठी थी और करीब तीन चार लड़के भी बैठे थे । "इन्हें" अंदर किसने आने दिया ? रात में सात बजे बाद किसी की भी ऐण्ट्री नहीं थी फिर ये लोग कैसे अंदर आ गये ? वह सोचने लगा 
एक दूसरे कैमरे पर उसने देखा कि जिप्सी एक ओर मुड़ गई है । उधर आगे कैमरे नहीं थे इसलिए उसी कैमरे से ही देखा जा सकता था । वह जिप्सी रुक गई और सारे लोग उस जिप्सी से उतर गये । थोड़ी देर बाद अलाव जलने का दृश्य दिख रहा था । लोगों के चेहरे धुंधले दिख रहे थे । वे मौज मस्ती करते हुए दिख रहे थे । इससे ज्यादा कुछ और नहीं दिख रहा था । करीब तीन घंटे बाद वह जिप्सी वापस लौट आई । इस बार वह महिला जिप्सी  में लेटी नजर आई थी । रीतेश सोचता रह गया । 

अगले दिन रीतेश अभ्यारण्य में उस जगह गया जहां अलाव जलाया गया था । उसकी राख वहीं पर पड़ी थी । उसने गौर से देखा तो उसे ऐसा लगा कि वहां "कैम्प फायर" किया गया था । एक झाड़ी के पीछे दारू की बोतल लुढकी मिली । दारू की बोतल किसी झाड़ी या ऐसी ही अन्य किसी चीज की आड़ क्यों लेती है ? प्रश्न बड़ा माकूल था पर उत्तर रीतेश के पास नहीं था । उसने नाइट ड्यूटी वाले को बुलवाया और उससे पूछा कि रात में कोई गाड़ी अंदर गई थी क्या , तो उसने मना कर दिया । इससे साफ हो गया था कि उसका स्टॉफ भी उनसे मिला हुआ था । उसने आसपास के क्षेत्र में कुछ और सीसीटीवी कैमरे लगवा दिये । 

महाराज के खून की जांच रिपोर्ट आ गई । उसमें जहर का अंश पाया गया । वो तो समय से उसका उपचार हो गया इसलिए वह बच गया । रीतेश के कान खड़े हो गये । उसे अब कुछ कुछ समझ में आ रहा था । 

उसका दोस्त अनिकेत वहीं पर SP लगा हुआ था । दोनों ने IAS की तैयारी साथ की थी इसलिए पक्के दोस्त बन गये थे । आज डिनर पर अनिकेत ने उसे बुलाया भी था । डिनर पर उसने सारी बातें अनिकेत से शेयर कर ली । अगले दिन अपनी पूरी टीम लेकर अनिकेत उस घटनास्थल पर आ गया जहां रास्ते में पत्थर पड़ा मिला था । उसके खून के धब्बों का नमूना ले लिया जिसे जांच में भेज दिया । जांच में पता लगा कि वे धब्बे किसी मानव खून के थे । यह खबर चौंकाने वाली थी । 

रीतेश ने सीसीटीवी पर निगरानी और बढा दी । एक दिन फिर वैसा ही नजारा दिखाई दिया । इस बार सीसीटीवी से साफ साफ दिखाई दे रहा था । इस बार भी एक विदेशी लड़की थी और तीन चार लड़के थे । कैंप फायर चलने लगा   दारू की बोतल खुलने लगी । नाच गाने होने लगे । सुरूर चढने लगा । थोड़ी देर में जब नशा चढ गया तो सब लड़कों ने बारी बारी से उस लड़की के साथ समागम किया । वह विदेशी लड़की बेहोशी की हालत में पड़ी हुई थी । मजेदार बात यह थी कि सेक्स के समय युवकों ने शेर की खाल के कपड़े पहने थे । अब रीतेश को सब कुछ समझ में आ गया था । 

अगले दिन उसने ड्यूटी पर उपस्थित कर्मचारी को बुलाकर फिर पूछा तो उसने फिर से अनभिज्ञता जाहिर कर दी । इस बार रीतेश के पास पूरे साक्ष्य थे इसलिए वह रिकॉर्डिंग लेकर अनिकेत के पास आ गया । अनिकेत ने सारी रिकॉर्डिंग देखी और उसे सारा माजरा समझ में आ गया । 
नाइट ड्यूटी वाले को थाने में बुलवा लिया गया और उसकी "तगड़ी खातिरदारी" की गई । उसने सारा भेद खोल दिया । उसने बताया कि यहां पर दो रैकेट चलते हैं । एक रैकेट तो शेरों के अवैध शिकार कर उसकी खाल , दांत, नाखून वगैरह की तस्करी करता है । दूसरा रैकेट नव धनाढ्य लोगों की अय्याशी का  है । 

अनिकेत उस घटनास्थल पर पूरी टीम लेकर पहुंचा जहां वह पत्थर मिला था । उसके चारों ओर दो किलोमीटर के क्षेत्र में सघन तलाशी ली गई । एक झाडी में किसी विदेशी नवयुवती का फोटो फंसा मिला । उसके आसपास जमीन की खुदाई कराई गई । दो दिन तक खुदाई चली तो जमीन में से एक कंकाल निकला । उसे लैब में भेजा गया तो वह कंकाल किसी लड़की का पाया गया । 

सीसीटीवी की रिकार्डिंग के आधार पर उन सब युवकों को पहचाना गया । एक वनरक्षक था , दूसरा थाने का ASI निकला । एक टैक्सी ड्राइवर और दो शहर के धनाढ्य लड़के थे । इन सबको गिरफ्तार कर लिया गया और इन सबकी तरह तरह से खातिरदारी की गई । संपूर्ण षड्यंत्र का भंडाफोड़ हो गया । 

दो धनाढ्य युवकों में एक राजन शेरों के अंगों के अवैध धंधे में लिप्त था । वह शेरों को जहर का इंजेक्शन दिलवाकर मरवा देता था । इंजेक्शन वनरक्षक ही देता था । मरने पर उसकी खाल व अन्य अंग तस्करी कर बेच दिये जाते थे ।

शेरों के इलाके में कैंप फायर कर मजे उड़ाने का शौक कुछ लड़के लड़कियों को होता है विशेषकर बाहर के लोगों का । बहुत सी लड़कियां इसके लिए लाखों रुपए खर्च करने को तैयार हो जाती हैं । ये लोग उनके इसी शौक का फायदा उठाकर लाखों रुपए भी कमाते हैं और उस लड़की के साथ सेक्स करके अपनी हवस की आग भी बुझा लेते हैं । 

करीब दस साल पहले फ्रांस की लड़की लारा यहां आई थी । बहुत खूबसूरत थी । गिर अभ्यारण्य में "महाराज" को देखने के लिए आई थी वह । उसका जिप्सी ड्राइवर मोहसिन उसकी सुंदरता पर फिदा हो गया । उसने अय्याश लड़के विक्की को उस विदेशी बाला के बारे में बताया और उसका फोटो दिखाया तो वह भी तैयार हो गया । लारा को कैंप फायर का लालच दिया गया । वह झांसे में आ गई । उसने इसके लिए एक मोटी रकम दी और पूरी मंडली कैंप फायर के लिए आ गई । जब नशे का रंग छाने लगा तो सबने लारा के साथ छेड़खानी शुरू कर दी । लारा ने विरोध किया तो ये लोग जोर जबरदस्ती पर उतर आये और सबने बारी बारी से उसके साथ बलात्कार किया । भेद न खुल जाये इस डर के कारण उसकी हत्या कर दी और उस बड़े पत्थर से उसका मुंह कुचल दिया । दूसरे दिन उन सबने उसे वहीं पर गड्ढा खोदकर दफना दिया । 

महाराज शेर की मांग बहुत ज्यादा थी । इस रैकेट ने उसकी खाल और दूसरी चीजों का सौदा पांच करोड़ में कर लिया । उसे पांच दिन तक लगातार जहर के इंजेक्शन लगाने थे मगर एक ही लग पाया था इसलिए वह मारा नहीं गया था । केस की पूरी छानबीन कर आरोप पत्र न्यायालय में पेश कर दिया गया । 

एक दिन जब रीतेश अभ्यारण्य में जा रहा था तब रास्ते के किनारे पर वही पत्थर उसे दिखाई दे गया । उसे वह पत्थर मुस्कुराता हुआ नजर आया । उसे सैल्यूट करता हुआ दिखाई दिया । रीतेश ने जिप्सी रोक ली और उसने उस पत्थर को एक जबर्दस्त सैल्यूट मारा और कहा "सैल्यूट के असली हकदार तुम ही हो पत्थर महाशय । अगर तुम बीच रास्ते में नहीं आते तो इस हत्याकांड का पता चलना असंभव था " । उसे ऐसा लगा कि पत्थर की आंखें भी नम हो गई हैं । 

श्री हरि 
16.12.22 


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10 Comments

Anjali korde

21-Jul-2023 11:26 AM

Nice

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Anjali korde

21-Jul-2023 11:25 AM

Nice

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Babita patel

13-Jul-2023 05:34 PM

very nice

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